ब्राह्मणों
शक्ति प्रदर्शन के दौरान जब इनकी रैलियां निकलती है! – जैसे – राम नवमी , भगवत कथा , दुर्गा/गणेश विशर्जन, राम कथा जैसी रैलियों मे हम SC/ST/OBC के लोग ही भीड़ बढा कर इनकी रैलियों को सफल बनाते है!
गणेश / दुर्गा / काली पूजा मे चन्दा देकर और शामिल होकर इनके आयोजनो को सफल बनाते है। गणेश /दुर्गा पूजा आदी के लिये अधिक से अधिक चन्दा देने मे हम अपनी शान समझते है और समाज के कार्यक्रमों के लिये कुछ नही निकलता।
ब्राह्मणों
हमारे पूजा/पाठ अच्छे विधि विधान से हो पूजा ब्राह्मणों से करवायंगे उन्हे ज्यादा से ज्यादा दक्षिणा देंगे या ये कहे की हम कितने ज्यादा धार्मिक है इसका प्रदर्शन करने के लिये 20-30 पंडितों को सम्मान के साथ बुला कर उनको पूजा के बाद सबसे पहले पक्का ब्राह्मण भोज कराने के बाद उन्हे दान आदि करते है।
मंदिरों की शोभा हम लोग ही बढा रहे है! और वहां बैठे पंडे पुजारी को दान दक्षिणा देकर उसे करोड़पति बना रहे है!
भागवत कथा, राम कथा ,प्रवचनो आदि का आयोजन कर हम अपना कीमती समय और पैसा लुटा रहे है और उसमे उपस्थित होकर ऐसे आयोजनो को सफल बना रहे है।
तीर्थ स्थलों की शोभा हम लोग ही बढा रहे है!हम ही मंदिरो और वहां बैठे ब्राह्मण पुजारी को करोड़पति बना रहे है।
ब्राह्मणों
फैशन के चक्कर मे पड़ कर अपनी हार के त्योहार मना रहे है! जिनसे ब्राह्मण और बनियों के घर भर रहे है।
यदि 85%लोग मंदिर जाना छोड दे! तो वहां अपने आप ही ताला लग जायेगा और वहां बैठे ब्राह्मण को दान/दक्षिणा नही मिलेगी तो सबसे पहले वो ही उस भगवान को अकेला छोड कर भाग जायेगा।
अब सोचिये! सुधरने की आवश्यकता sc/st/obc को है या ब्राह्मण को। हम कब तक भेड़ चाल चलेगे ?
कब अपने दिमाग का इस्तेमाल करेगे ? हमे किसी को सुधारने से पहले स्वयं को सुधारना होगा।